Maturity: आज हम सब चाहते हैं, कि हम शांत और खुशहाल जीवन जिए। लेकिन हमें किसी भी चुनौती का सामना न करना पड़े। इससे पता चलता है की हम सिर्फ काल्पनिक जीवन जी रहे हैं। आसान शब्दों में कहें तो चुनौतियां ही हमें जीवन जीना सिखाती हैं। जब कोई व्यक्ति इनसे डरने की बजाय इन्हें समझने लगता हैं, तो जिंदगी को लेकर उसकी समझ बढ़ने लगती है। सबकी जिंदगी में यही वो मोड़ होता है जहाँ हर व्यक्ति समस्याओं से घबराने की बजाय उनसे सीखने लगता है और समझदारी से जीवन जीना शुरू कर देता है। आइये विस्तार से जानते हैं कि व्यक्ति कब परिपक्व यानि मैच्योर हो जाता है और इन 4 चीजों की मदद से समझते हैं अपना Maturity लेवल:

THIS BLOG CONTAINS:
- विचारो को जाने देना (The Art of Letting Go): Maturity की पहली सीढ़ी
- अपने साथ समय बिताना
- माता-पिता का दोस्त बन जाना
- अपनी जिंदगी का महत्त्व समझना
1: विचारो को जाने देना (The Art of Letting Go): Maturity की पहली सीढ़ी

हर व्यक्ति के जीवन में एक ऐसा समय जरूर आता है, जहाँ उसे अपने जीवन से कुछ न कुछ छोड़ना ही पड़ता है। चाहे वो कोई पुरानी याद हो, कोई आदत या कोई सपना (जिसे पूरा न किया जा सके), इनमें से किसी को भी छोड़ देना यानि Let Go कर देना इतना आसान नहीं है। लेकिन अगर हम इन्हें छोड़ना सीख जाते हैं तो हम परिपक्वता यानि मैच्योरिटी (Maturity) की तरफ अपना पहला कदम बढ़ाते हैं। हम सब यह जानते हैं कि कब क्या छोड़ देना बेहतर है, लेकिन अपने दिल और दिमाग की उलझनों के बीच इतना उलझ जाने से हम उसे टालमटोल कर देते हैं। हमारी महान भारतीय संस्कृति में ‘छोड़ना’ या ‘जाने देना’ या Let Go कर देना हमेशा से ही महानता की दृष्टि से देखा गया है। ऐसे में कई संतों, कवियों और शायरों ने इस कला को अपने शब्दों में बहुत ही आसानी से समझाया है। उन्हीं में से एक मशहूर शायर साहिर लुधियानवी जी हैं, जिन्होंने अपनी शायरी की मदद से इस कला को बहुत ही आसानी से समझाया है:
तारुफ़ रोग बन जाए तो उसे भूलना बेहतर,
ताल्लुक बोझ बन जाए तो उसे तोड़ना अच्छा।
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन,
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा।
इसका मतलब है, अगर कोई भावना या रिश्ता आपको चुनौती भरा लग रहा है और उसकी वजह से आप हर समय स्ट्रेस और एंग्जायटी से जूंझ रहे हों। तो उस समय उसे एक अच्छे मोड़ पर लाकर भूल जाना या छोड़ देना ही बेहतर है। यह मैच्योर व्यक्ति की निशानी भी होती है। अगर आप यह करने में सफल हो जाते हैं, तो यह आपके लिए एक अच्छी याद बन जाएगी और आप स्ट्रेस और एंग्जायटी से छुटकारा भी पा लेंगे।
चुनौतियों का पहाड़ उठाना फिजूल है,
चुनौतियों का जश्न मनाता चला जा।
इसका आसान अर्थ है, चिंताएं और परेशानियाँ सभी के जीवन में होती हैं। अगर हम इन्हें हर समय अपने सिर पर बोझ की तरह उठाए रखते हैं, तो हम सिवाए समय नष्ट और अपने दिमाग को स्ट्रेस देने के अलावा कुछ नहीं करते हैं। लेकिन अगर हम इन चुनौतियों और परेशानियों को अपनाकर उनसे सीखना शुरू कर दें, तो यहीं परेशानियां हमें जीवन जीना सीखा देती हैं।
2: अपने साथ समय बिताना

जब हम अपने से ज्यादा दूसरों के बारे में सोचने लगते हैं, तो धीरे-धीरे हम स्ट्रेस और एंग्जायटी का शिकार होते जाते हैं। जिससे हम धीरे-धीरे अपने मन की शांति खो बैठते हैं। किसी भी व्यक्ति को परिपक्व यानि मैच्योर (Maturity) होने के लिए यह समझना बहुत जरुरी है की जब तक हमारा मन शांत नहीं होगा तब तक हम किसी को शांति नहीं पंहुचा सकते हैं और न ही मदद कर सकते हैं। यह बात अगर हमारी समझ में आ जाती है तो हम दूसरों से ज्यादा अपने साथ समय बिताना पसंद करने लगेंगे। यहीं से हमारे अंदर एक बदलाव शुरू होता है, हम धीरे-धीरे Maturity की तरफ बढ़ते जाते हैं और अपने साथ ज्यादा समय बिताकर मन की शांति को महत्व देने लगते हैं।
3: माता-पिता का दोस्त बन जाना

जब हम अपने बचपन और बीते हुए समय के बारे में सोचते हैं, तो हम यह जानते और समझते हैं कि माता-पिता की कही गई बातें कोई रोक-टोक या सजा नहीं हैं। बल्कि ये वो बातें हैं जो हमे उनके पूरे जीवन के अनुभव के बारें में बताती हैं। ये वे बातें होती हैं जो उन्होंने अपने सालो के संघर्षो और असफलताओं से सीखी हैं। जब हम उनकी इन्हीं बातों का उपयोग अपने जीवन में करने लगते हैं और उनके संघर्षो और अनुभव का सम्मान करने लगते हैं। तो कुछ समय के बाद हम यह महसूस करेंगे की माता-पिता हमारे अच्छे मित्र बन गए हैं।
4: अपनी जिंदगी का महत्त्व समझना

जब हम मैच्योर होते जाते हैं, तो हम अपने चारों तरफ यह महसूस करते हैं, कि हमारा जीवन और आस-पास के लोग इतने बुरे नहीं हैं जितना हम उन्हें समझते हैं। जब हम अपनी परेशानियों की शिकायतें कम कर देते हैं और जीवन में छोटी-छोटी खुशियों की सराहना करना शुरू कर देते हैं, तो समय के साथ-साथ यह हमारे जीवन में एक आदत बन जाती है। जब हम अपने जीवन में अच्छा महसूस करने के लिए बड़ी-बड़ी चीज़ों को ढूंढ़ने की बजाय छोटी-छोटी चीज़ों में खुशी ढूँढ़ना शुरू कर देते हैं, तो समझ लेना चाहिए कि हम Maturity की तरफ बढ़ रहे हैं। साथ ही जब हम अपने जीवन को जैसा है वैसा की स्वीकार कर लेते हैं और उसे बेहतर बनाने के लिए शांति से कोशिश करते हैं, तो हम परिपक्वता की ओर बढ़ रहे होते हैं।
यह भी पढ़े – अगर भगवान् हैं, तो गलत करने वालों को रोकते क्यों नहीं? क्या है Law of Karma?