सुनीता विलियम्स की 9 महीने बाद धरती पर वापसी: ये बात है आज से लगभग 9 महीने पहले कि जब पायलट सुनीता विलियम्स और कमांडर वुच विलमोर को महज़ 8 दिनों की यात्रा के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भेजा गया था लेकिन उनकी ये यात्रा 9 महीने के लंबे इंतजार में बदल गई।


किस गलती के कारण अंतरिक्ष में फँसी सुनीता विलियम्स?
ये बात है 5 जून 2024 सुबह के 10:52 की जहाँ अमेरिका में स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट लांच होता है। इसमें नासा के दो काफी अनुभवी अंतरिक्ष यात्री BARRY E. WILMORE और SUNITA WILLIAMS बैठे हुए थे। वे दोनों इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की एक छोटी सी 8 दिन की ट्रिप पर जा रहे थे। जिस स्पेसक्राफ्ट में ये ट्रेवल कर रहे थे, उस स्पेसक्राफ्ट का नाम स्टारलाइनर था। जिसे एक प्राइवेट कंपनी बोइंग ने बनाया था।जैसे ही स्टारलाइनर अंतरिक्ष के पास पहुँचा तो उसके कुछ हीलियम गैस के थ्रस्टर ने काम करना बंद कर दिया, फिर भी ये डोक कर सकता था। अगले दिन 6 जून 2024 लगभग 27 घंटे बाद 01:34 PM पर स्टारलाइनर ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के साथ सुरक्षित डोकिंग की थी।
जो स्टारलाइनर 5 जून 2024 को लॉन्च हुआ था उसे दरअसल 6 मई 2024 को लॉन्च होना था, लेकिन काउंटडाउन लॉन्च से सिर्फ दो घंटे पहले इसे एक प्रेशर वाल्व के खराब होने के कारण रोक दिया गया। फिर 1 जून 2024 को दूसरी बार लॉन्च करने की कोशिश की गई, लेकिन लॉन्च से सिर्फ 3 मिनट 50 सेकंड पहले कंप्यूटर अबो्र्ट सिस्टम के द्वारा इसे कैंसिल कर दिया गया। फिर 5 जून 2024 के दिन भी बोइंग और नासा के इंजीनियर, एक हीलियम लीक को मैनेज करने में लगे हुए थे, हीलियम वो गैस है जिससे स्पेसक्राफ्ट के थ्रस्टर्स को चलाया जाता है। बताया जाता है कि इस लीक को ज्यादा बड़ा लीक न मानकर नजरअंदाज कर दिया गया। इसी एक छोटे से लीक के कारण यह 8 दिन का मिशन, नौ महीने के लंबे इंतज़ार में बदल गया।


ऊपर लगी तस्वीरों में आप देख पा रहे होंगे कि किस तरह दोनों अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन में गए थे और दूसरी तस्वीर में साफ़-साफ़ नजर आ रहा है कि पायलट सुनीता विलियम्स स्पेस स्टेशन में आने के बाद कितनी खुश दिखाई दें रही थी। हालाँकि उन्हें इस ख़ुशी की काफी लंबी कीमत चुकानी पड़ी। नीचे लगी कुछ तस्वीरों में आप इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंदर का नज़ारा देख सकते हैं।




आपको लग रहा होगा कि वो दोनों अंतरिक्ष यात्री अब वहाँ फस गए थे, लेकिन ऐसा नहीं था वो दोनों एक्सपीडिशन 71 और एक्सपीडिशन 72 रिसर्च टीम के क्रू मेम्बर बन गए थे। हालाँकि हम आपको बताते चलें कि सुनीता विलियम्स, इससे पहले एक्सपीडिशन 33 की कमांडर रह चुकी थी। एक्सपीडिशन 71 और 72 के साथ मिलकर वो दोनों स्पेस बोटनी, स्पेस-कॉज फ्लूइड शिफ्ट्स, एलगी-बेस्ड लाइफ सपोर्ट सिस्टम्स और न्यूरोडीजेनरेटिव डिसीसेस एंड थेरेपीज पर रिसर्च कर रहे थे, जैसा की आप तस्वीरों में भी देख पा रहे होंगे।
आखिर 9 महीने बाद कैसे हुई वापसी?
बोइंग स्टारलाइनर में हीलियम लीक के कारण नौ महीने तक ISS में फँसे रहने के बाद स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल की मदद से सुनीता विलियम्स और वुच विलमोर की धरती पर वापसी संभव हो पाई है। ड्रैगन कैप्सूल को स्पेस स्टेशन से दूर जाने के लिए कई पड़ाव पार करने पड़े। ड्रैगन कैप्सूल स्पेस स्टेशन से अलग होने के बाद अपने थ्रस्टर को चलाता है और धरती की तरफ नीचे आं ने लगता है। धरती के वातावरण में एंटर करते समय उसकी स्पीड 27,000 किलोमीटर प्रति घंटा थी। उस समय ये अपने ऊपर लगे ट्रंक को हटा देता है।
ट्रंक के दो मुख्य काम होते हैं, एक-कैप्सूल को पॉवर पहुँचाना और दूसरा-उसे रेडिएशन से बचाना। धरती के वातावरण में फ्रिक्शन के कारण कैप्सूल का तापमान लगभग 2000 डिग्री सेंटीग्रेट तक पहुँच जाता है, ऐसे में कैप्सूल में लगी हीट शील्ड उसे पिघलने से बचाती है। इसमें छोटे-छोटे कुछ और थ्रस्टर लगे रहते हैं जो इसकी स्पीड को कम करने का काम करते हैं। जब कैप्सूल लगभग 5 से 10 कि.मी की ऊँचाई पर रहता है तब इसमें दो बड़े पैराशूट ओपन होते हैं और इसकी गति को धीमा करते हैं। कुछ देर के बाद दो मेन पैराशूट भी खुल जाते हैं और कैप्सूल, अटलांटिक महासगार में लैंड होता है। फिर स्पेसएक्स की रिकवरी टीम वहाँ पहुँचकर अंतरिक्ष यात्रियों को कैप्सूल से बाहर निकालती है। इस तरह भारत की बेटी अपनी धरती पर वापस आ जाती है।